बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम पर चिंता: देशों की सख्त पहल, भारत में क्या हो रहे हैं प्रयास?

बच्चों के बढ़ते स्क्रीन टाइम पर चिंता: देशों की सख्त पहल, भारत में क्या हो रहे हैं प्रयास?

आज की डिजिटल दुनिया में बच्चों में स्क्रीन टाइम तेजी से बढ़ रहा है, जिससे माता-पिता और समाज चिंतित हैं। कई देशों ने इस पर सख्त कदम उठाए हैं। ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया उपयोग पर रोक लगा दी है, जबकि अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा में 14 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया इस्तेमाल की अनुमति नहीं है।

भारत में स्थिति अलग है। एक स्टडी के अनुसार, यहां बच्चों को सबसे कम उम्र में मोबाइल मिलता है। सस्ते इंटरनेट की वजह से भारत बच्चों के मोबाइल उपयोग के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है। आइए, समझते हैं कि बच्चों में बढ़ता स्क्रीन टाइम क्यों चिंता का कारण बन रहा है, इसके नुकसान क्या हैं, और इसे कम करने के लिए क्या किया जा सकता है।

स्क्रीन टाइम का मतलब क्या है?

स्क्रीन टाइम वह समय है जो कोई व्यक्ति मोबाइल, लैपटॉप, या अन्य डिजिटल डिवाइस की स्क्रीन के सामने बिताता है। अधिकतर स्क्रीन टाइम सोशल मीडिया या गेम्स में गुजरता है।

क्यों बढ़ रहा है बच्चों का स्क्रीन टाइम?

  • कोरोना महामारी: लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लास और वर्क फ्रॉम होम ने स्क्रीन का उपयोग बढ़ा दिया।
  • डिजिटल सुविधाएं: सस्ता इंटरनेट और आसान एक्सेस ने बच्चों को स्क्रीन की ओर आकर्षित किया।
  • आदत बनना: महामारी के बाद भी फोन और लैपटॉप का उपयोग जारी है।

स्क्रीन टाइम से नुकसान

  • शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य: नींद की कमी, ड्राई आइज, मोटापा, और चिड़चिड़ापन।
  • शिक्षा पर असर: बच्चों की पढ़ाई और एकाग्रता प्रभावित हो रही है।
  • सामाजिक जीवन: बाहर खेलने और सामाजिक गतिविधियों में रुचि कम हो रही है।

स्क्रीन टाइम कम करने के उपाय

  • खुद भी स्क्रीन का उपयोग सीमित करें।
  • सोने से एक घंटा पहले फोन का उपयोग बंद करें।
  • बच्चों के लिए डिजिटल-फ्री दिन तय करें।
  • उनके साथ बातचीत और खेलकूद में समय बिताएं।
  • सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम के नुकसान समझाएं।

भारत में स्क्रीन टाइम पर कानून

हालांकि भारत में बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं, लेकिन 2023 में डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों का डेटा सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य की गई है।

 

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