एच-1बी वीजा धारकों के बच्चों को 21 साल के बाद छोड़ना होगा अमेरिका, ट्रंप की नीति का बढ़ता विरोध

एच-1बी वीजा धारकों के बच्चों को 21 साल के बाद छोड़ना होगा अमेरिका, ट्रंप की नीति का बढ़ता विरोध

 

अमेरिका में ट्रंप सरकार द्वारा लागू की गई एच-1बी वीजा नीति का विरोध तेज हो गया है। इस नीति के तहत एच-1बी वीजा धारकों के बच्चों को 21 साल की उम्र पूरी होने पर अमेरिका छोड़ना होगा, अगर उनके माता-पिता को ग्रीन कार्ड नहीं मिला है। इस फैसले की आलोचना करते हुए अमेरिकी सांसद और डेमोक्रेट जेरोल्ड नैडलर ने इसे बच्चों और उनके भविष्य के लिए गलत कदम बताया।

क्या है एच-1बी वीजा और नई नीति?

एच-1बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियां कुशल विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखती हैं। मुख्यतः भारतीय और चीनी कर्मचारी इस वीजा के तहत अमेरिका में काम करते हैं। हालांकि, ट्रंप सरकार ने इस वीजा के नियमों में बदलाव किए हैं।

इन बदलावों के मुताबिक, यदि एच-1बी वीजा धारक माता-पिता को ग्रीन कार्ड नहीं मिला है, तो उनके 21 साल के हो चुके बच्चे अमेरिका में नहीं रह सकते। उन्हें देश छोड़कर जाना होगा या अमेरिका में रहने के लिए अलग से आव्रजन प्रक्रिया शुरू करनी होगी।

जेरोल्ड नैडलर ने उठाए सवाल

डेमोक्रेटिक सांसद जेरोल्ड नैडलर ने इस नीति का कड़ा विरोध करते हुए कहा, “उच्च-कुशल कर्मचारियों को ग्रीन कार्ड के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ता है। इस बीच, उनके बच्चे, जिन्होंने अमेरिका में अपना पूरा जीवन बिताया है, 21 साल के बाद उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह उन्हें ऐसे देशों में भेजने जैसा है, जहां वे न तो कभी गए हैं और न ही उनका वहां कोई समर्थन तंत्र है।”

जन्मसिद्ध नागरिकता पर रोक की आलोचना

नैडलर ने ट्रंप के उस फैसले की भी निंदा की, जिसमें अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को स्वत: नागरिकता मिलने का अधिकार समाप्त कर दिया गया। उन्होंने कहा, “क्या यह सही है कि ऐसे बच्चों को उन देशों में भेजा जाए, जिन्हें वे नहीं जानते और जहां उनका कोई परिवार या समर्थन नहीं है?”

 

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