“उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान – ‘भारत की विरासत अद्वितीय, विश्व को दी नई दिशा'”

Rajiv Kumar

“उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान – ‘भारत की विरासत अद्वितीय, विश्व को दी नई दिशा'”

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि भारत की जड़ें सनातन धर्म में निहित हैं। उन्होंने बताया कि भारत अहिंसा, शांति और भाईचारे के सिद्धांतों के कारण सदियों से दुनिया का मार्गदर्शन करता रहा है और अब एक बार फिर विश्व गुरु बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

वे कोलकाता में गौड़ीय मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद की 150वीं जयंती के समापन समारोह में साइंस सिटी में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।

सनातन धर्म की समावेशिता और भारतीय संस्कृति की महानता पर जोर

उपराष्ट्रपति ने सनातन धर्म की समावेशिता और सार्वभौमिक मूल्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह धर्म जाति, पंथ और आर्थिक भेदभाव से ऊपर उठकर राष्ट्रभक्ति और सहिष्णुता का प्रतीक है। उन्होंने भारत की 5,000 साल पुरानी संस्कृति को अद्वितीय बताया और कहा कि इसे संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।

उन्होंने नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों के विनाश पर चिंता जताई, जो कभी ज्ञान और शिक्षा के वैश्विक केंद्र थे।

“भारत ने चुनौतियों को पार कर दिखाया रास्ता”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि भारत ने आक्रमणों और अकल्पनीय बर्बरता को झेला है, लेकिन हर चुनौती से उबरकर देश ने विकास और प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा आध्यात्मिक उन्नति के बिना संभव नहीं होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया भारत की आध्यात्मिकता और संस्कृति को श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभु और श्रील प्रभुपाद जैसी महान हस्तियों के माध्यम से जानती है। इन विभूतियों ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का संदेश न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में फैलाया।

बंगाल के योगदान को किया सलाम

उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आंदोलनों में बंगाल की ऐतिहासिक भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि यह राज्य हमेशा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हर बड़े आंदोलन का केंद्र रहा है। उन्होंने खुदीराम बोस, चित्तरंजन दास और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे महान नेताओं के योगदान को भी याद किया।

तारापीठ मंदिर में की पूजा-अर्चना

बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ शक्तिपीठ मंदिर में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ पूजा-अर्चना की।

उन्होंने कहा, “भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं, हमारे धार्मिक स्थल और उनमें आस्था इसका प्रमाण हैं।” उन्होंने कहा कि तारापीठ मंदिर में दर्शन करने के बाद वे धन्य महसूस कर रहे हैं और उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए कार्य करने का संकल्प लिया।

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