बांग्लादेश सरकार पर अल्पसंख्यकों की उपेक्षा का आरोप, अमेरिका के पूर्व अधिकारी ने दी भारत से सीखने की नसीहत

संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) के पूर्व आयुक्त जॉनी मूर ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और मोहम्मद यूनुस पर कड़ी आलोचना की है। मूर ने कहा कि देश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने में पूरी तरह विफल हो चुकी है।

अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों पर जताई चिंता

मूर ने पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उनके वकील की हत्या को लेकर सरकार की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह घटनाएं दिखाती हैं कि बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब हो गई है। मूर ने कहा कि अल्पसंख्यकों के बीच यह डर व्याप्त है कि किसी के भी साथ ऐसा हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपील

मूर ने कहा कि वैश्विक ईसाई समुदाय बांग्लादेश के हिंदू समुदाय के साथ खड़ा है। उन्होंने बांग्लादेश सरकार पर यह जिम्मेदारी डाली कि वह अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे। उन्होंने चेतावनी दी कि इस संकट को हल करने में विफलता से देश के भविष्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

भारत और अमेरिका से सीखने की सलाह

मूर ने कहा कि बांग्लादेश को भारत और अमेरिका जैसे देशों से सलाह लेनी चाहिए, जो धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के बावजूद इसे प्रबंधित करने में सफल रहे हैं। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को गंभीरता से ले और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे।

अल्पसंख्यकों के प्रति उपेक्षा से बांग्लादेश को हो सकता है नुकसान

मूर ने चेतावनी दी कि अगर बांग्लादेश ने अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी उपेक्षा जारी रखी, तो इससे देश के आर्थिक और राजनीतिक लाभों पर भी असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत जैसी महाशक्ति के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने का लाभ बांग्लादेशी जनता से छिन सकता है।

मोहम्मद यूनुस की भूमिका पर सवाल

मोहम्मद यूनुस, जिन्होंने अगस्त में बांग्लादेश के अंतरिम नेता के रूप में पदभार संभाला, की आलोचना करते हुए मूर ने कहा कि एक नेता को देश के लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यूनुस सरकार इस मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है।

 

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