ईरान के एटमी ठिकानों पर हमला जरूरी: अमेरिकी विशेषज्ञ

अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व राजनयिक मार्क वालेस ने चेतावनी दी है कि ईरान पल भर में परमाणु हथियार बना सकता है। उन्होंने कहा कि ईरान को रोकने का एकमात्र तरीका यह है कि पश्चिमी देश उसके परमाणु ठिकानों को तुरंत नष्ट कर दें।

ब्रिटिश अखबार ‘द सन’ को दिए एक साक्षात्कार में वालेस ने स्वीकार किया कि मध्य पूर्व में जो हालात बन रहे हैं, वे तीसरे विश्व युद्ध की ओर इशारा कर रहे हैं।

वालेस ने कहा, “दुनिया किसी भी समय खतरे में पड़ सकती है। अब तक की स्थिति से यह स्पष्ट है कि हम ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने में विफल रहे हैं।”

वालेस, जो संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत रह चुके हैं और यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान (UANI) के सीईओ भी हैं, ने कहा, “दुनिया के पास अभी भी समय है कि वह जागे और ईरान के परमाणु ठिकानों को तुरंत नष्ट कर दे। इसके लिए पहल पश्चिमी देशों को ही करनी होगी।”

वालेस ने कहा, “UANI का पहला सिद्धांत यह है कि वह हर उस देश को रोके जो आतंकवाद का समर्थन करता है और ऐसे समूहों को हर तरह की मदद देता है। अगर यह काम अभी भी नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।”

वालेस ने कहा, “ईरान दुनिया का नरक का द्वार है। वह जो भी कर रहा है, उसे रोकने की कोई भी कोशिश काम नहीं आई है। अब वह किसी भी समय और मैं यह भी कहूंगा कि पल भर में परमाणु हथियार बना सकता है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि उसे रोकने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है। 2015 में हमने उससे परमाणु समझौता किया था। इसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि उसने पर्यवेक्षकों को संयंत्र के अंदर जाने नहीं दिया।”

वालेस ने कहा, “डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को रोकने की कोशिश की थी। वह कुछ हद तक सफल रहे, लेकिन इसके बाद सभी ताकतें पीछे हट गईं और ईरान मनमानी करता रहा।”

ईरान परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश कर रहा है

ईरान लगभग 23 साल से परमाणु शक्ति हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 2015 में, ईरान ने चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिए एक समझौता किया था। यह समझौता इसलिए किया गया था क्योंकि पश्चिमी देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या वह एक ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही न हों, लेकिन उसके पास उन्हें बनाने की सभी क्षमताएं हों और कभी भी उनका इस्तेमाल कर सके।

2010 में, ईरान को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, यूरोपीय संघ और अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए थे। इनमें से ज्यादातर अभी भी लागू हैं। 2015 में, ईरान ने इन शक्तियों के साथ समझौता किया। लगभग पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौते को रद्द कर दिया और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इसके बाद बाइडेन आए तो उन्होंने ईरान के प्रति नरम रुख अपनाया।

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