पर्यावरण संरक्षण की अनोखी मिसाल पेश करते हुए, शहर से सटे गांव बोहर के नांदल परिवार ने अपने सेना में मेजर बेटे की शादी में दुल्हन पक्ष की तरफ से मिला दहेज ठुकरा दिया। इसके साथ ही, उन्होंने बहू के साथ शगुन के तौर पर सिर्फ एक पौधा लेकर घर आए, जिसका नाम रखा गया ‘परिणय’।
यह अनोखी शादी समाज में काफी सराहा जा रही है, और अधिकांश खापों ने इस परंपरा को अपनाने पर हामी भरी है।
नांदल खाप के 10 साल प्रधान और गांव गढ़ी बोहर के दो बार सरपंच रहे चौधरी महेंद्र सिंह नांदल ने बताया कि उनके पोते मेजर दीपेन्द्र की चार मार्च को कोलकाता में जयंत शर्मा की बेटी बिभासा के साथ शादी हुई थी। सगाई के समय ही दूल्हे के परिजनों ने तय कर लिया था कि वह दहेज नहीं, शगुन लेंगे और वह भी मात्र एक पौधा।
शादी के वक्त जब दुल्हन पक्ष ने दहेज में कैश, गहने, फर्नीचर आदि देना चाहा तो चौधरी महेंद्र सिंह नांदल ने लड़की को ही सबसे बड़ा दहेज कहते हुए सामान लेने से मना कर दिया।
मेजर दीपेंद्र के पिता हरीश नांदल ने बताया कि बेटे की शादी के बाद बहू एक पौधे के साथ ससुराल पहुंची। बहू ने गृहप्रवेश से पहले परिणय नामक शगुन के पौधे का रोपण किया। नवदंपती ने विवाह की वर्षगांठ और जीवन में आने वाले सभी शुभ अवसरों पर पौधरोपण करने और उनकी देखरेख करने का संकल्प लिया।
शादी में आए मेहमानों को भी विदाई के समय पौधे भेंटकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया गया।
छह मार्च को बहू के स्वागत में रोहतक में भोज रखा गया। इसमें पूरे प्रदेश से खापों के प्रधानों व प्रतिनिधियों को बुलाया गया था। खापों ने सर्वखाप के प्रधान महेंद्र सिंह नांदल की इस अनूठी मिसाल की सराहना करते हुए इसे परंपरा बनाने की बात कही।
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