अमेरिकी जवाबी शुल्क पर कांग्रेस की आपत्ति, मोदी सरकार से कड़ा रुख अपनाने की मांग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित जवाबी शुल्क (Reciprocal Tariffs) को लेकर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने मोदी सरकार से इस “अपमान” का डटकर सामना करने और अमेरिका को स्पष्ट संदेश देने की मांग की है कि ऐसे कदम भारत के लिए स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस नेता अजय कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकात के वीडियो के अंश दिखाए। उन्होंने दावा किया कि जहां मैक्रों ने ट्रम्प को जवाब दिया, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने “मौन” रहे। उन्होंने कहा, “जब ट्रम्प भारत को शुल्क उल्लंघनकर्ता कह रहे थे, तब मोदी चुप थे।”
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अजय कुमार ने आगाह किया कि अगर भारत के उत्पादों, जैसे सेब और अंगूर, पर शुल्क हटा दिया गया, तो हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के किसानों को बड़ा नुकसान होगा। साथ ही, भारतीय ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग भी प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि अगर विदेशी वस्तुओं का आयात बढ़ा, तो देश के निर्माण उद्योग पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
मोदी सरकार की नीतियों पर हमला
कांग्रेस नेता ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि “नोटबंदी, जीएसटी और अनियोजित लॉकडाउन जैसे फैसले पहले ही देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर चुके हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका से कुछ प्रमुख उत्पादों पर शुल्क कम करने का फैसला भारतीय बाजार के लिए और भी अधिक नुकसानदायक हो सकता है।
भारत को अमेरिका से करना चाहिए स्पष्ट संवाद
अजय कुमार ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ कड़ा रुख अपनाते हुए संवाद करना चाहिए और स्पष्ट कर देना चाहिए कि यह जवाबी शुल्क स्वीकार्य नहीं हैं। उन्होंने कनाडा और मेक्सिको का उदाहरण दिया, जहां ऐसे शुल्कों को हटाया गया था।
पाकिस्तान को अमेरिकी मदद पर कांग्रेस की नाराजगी
अजय कुमार ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए अमेरिकी सहायता दिए जाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने मोदी सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “भारतीय सेना ने कई बार कहा है कि पाकिस्तान इन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता है, फिर भी सरकार कोई प्रतिक्रिया नहीं देती।”