Excise Policy Case: क्या सही है केजरीवाल की गिरफ्तारी? वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने उठाए इतने सवाल, क्या जवाब दे पाएंगी CBI-ED

Excise Policy Case

नई दिल्ली: केजरीवाल की गिरफ्तारी पर सवाल

Excise Policy Case: दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और इसके बाद रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पाकिस्तान की न्यायिक प्रक्रिया का जिक्र किया।

पाकिस्तान की न्यायिक प्रक्रिया का उल्लेख

केजरीवाल की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को चार दिन पहले ही पीएमएलए के तहत नियमित जमानत दी है। उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि हम पाकिस्तान नहीं हैं जहां तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सबने अखबार में पढ़ा और उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन, हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।”

सीबीआई की गिरफ्तारी के सुबूत पर सवाल

सिंघवी ने तर्क दिया कि सीबीआई के पास गिरफ्तारी के लिए कोई सुबूत नहीं था। सीबीआई ने सिर्फ इस रूप में गिरफ्तारी की थी कि अगर केजरीवाल बाहर आते हैं तो यह एक अतिरिक्त गिरफ्तारी है। उन्होंने कहा, “केजरीवाल के पक्ष में तीन रिलीज ऑर्डर हैं।”

ट्रिपल टेस्ट की संतुष्टि

सिंघवी ने कहा कि जून में रिहाई और पुनः आत्मसमर्पण का कार्य ही ट्रिपल टेस्ट की पूर्ण संतुष्टि को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें अनिश्चित काल के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझा है। सिंघवी ने तर्क दिया कि केजरीवाल को मनी लांड्रिंग मामले में नियमित जमानत मिल चुकी है, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी का परिणाम यही है।

केजरीवाल को भेजा गया समन

सिंघवी ने बताया कि 17 अगस्त 2022 की प्राथमिकी में केजरीवाल का नाम नहीं था। इसके बाद 14 मार्च 2023 को केजरीवाल को समन भेजा गया और मैं समन पर पेश हुआ। सीबीआई ने बीते 240 दिनों में मुझसे पूछताछ की जरूरत नहीं समझी।

सीबीआई की सक्रियता

सिंघवी ने कहा कि 21 मार्च को ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया। केजरीवाल न्यायिक हिरासत में थे और इसी बीच सीबीआई ने कस्टडी की मांग की। सीबीआई 26 जून को सक्रिय हुई। अचानक से केजरीवाल सीबीआई के लिए अहम हो गए और वह उनकी कस्टडी की मांग करने लगी।

अंतरिम जमानत पर रिहाई

सिंघवी ने कहा कि 12 जुलाई को केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से ईडी मामले में अंतरिम जमानत मिल गई। ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल वहीं पर हैं, जहां थे, क्योंकि जांच एजेंसियां किसी भी हथकंडे से केजरीवाल को सलाखों के पीछे रखना चाहती हैं।

सिंघवी के सवाल

सिंघवी ने तर्क दिया कि दो साल तक चुप बैठी सीबीआई, केजरीवाल को अदालत से राहत मिलने के बाद क्यों सक्रिय हुई? उन्होंने कहा कि आप स्वतंत्रता के सबसे व्यापक मौलिक अधिकार और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए केजरीवाल के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते।

प्रक्रिया का उल्लंघन

सिंघवी ने कहा कि सीबीआई अनुच्छेद 21 के तहत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन कर रही है। केजरीवाल पहले से ही ईडी की हिरासत में हैं। न्यायिक हिरासत में होने पर लगभग दो साल बाद सीबीआई सीआरपीसी की धारा 41ए के संदर्भ में रिमांड पर केजरीवाल से पूछताछ करने के लिए आवेदन करती है।

केजरीवाल की सुनवाई नहीं

सिंघवी ने कहा कि आखिरकार केजरीवाल आतंकवादी नहीं, बल्कि एक मुख्यमंत्री हैं। केजरीवाल को आवेदन की प्रति कभी नहीं मिलती और कोई नोटिस नहीं दिया गया है, उनकी बात नहीं सुनी गई।

सीबीआई की औपचारिक गिरफ्तारी

अदालत ने सवाल किया कि क्या सीबीआई में औपचारिक गिरफ्तारी नहीं होती? सिंघवी ने कहा कि सीबीआई के आवेदन को ट्रायल कोर्ट द्वारा उसी दिन अनुमति दी जाती है, जबकि केजरीवाल को कोई सूचना दिए बिना या उनकी बात सुने बिना। यह कोई डाकघर प्रणाली नहीं है। मुझसे पूछताछ करने के बाद अगले दिन एक और आवेदन दिया जाता है कि कृपया गिरफ्तारी की अनुमति दें। हैरानी की बात यह है कि आवेदन में ही धारा 160 का जिक्र है। अब अचानक केजरीवाल आरोपित बन गए। कैसे, क्या कब, कुछ नहीं।

गिरफ्तारी का कारण

सिंघवी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट केवल एक ही कारण के आधार पर रिमांड की इजाजत देता है कि वह संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा, “अगर केजरीवाल पूछताछकर्ता से कहें कि तुम भाड़ में जाओ तो मैं जवाब नहीं दूंगा, क्या अदालत कह सकती है कि आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा? मैं अपनी बात समझाने के लिए एक अतिवादी प्रश्न पूछ रहा हूं। अनुच्छेद 22 क्या है? लोग भूल रहे हैं, फिर हम संवैधानिक अधिकारों के बारे में ये सब किस बात का व्याख्यान दे रहे हैं।”

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना के आदेश में बहुत दिलचस्प वाक्य है कि पूछताछ अपने आप में गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकती। यह एक उल्लेखनीय मामला है। ऐसा नहीं है कि आप आंखों पर पट्टी बांध लें और गिरफ्तारी होने दें।

गिरफ्तारी की अनुमति

सिंघवी ने कहा कि अंत में जांच एजेंसी की प्रार्थना है कि कृपया केजरीवाल को गिरफ्तार करने की अनुमति दें। यह कैसी प्रार्थना है? मैंने इस प्रकार का आवेदन कभी नहीं देखा है, जिसमें यह दिखाने का एक भी प्रयास नहीं किया गया कि आप किस धारा के तहत गिरफ्तारी करना चाहते हैं। कोई कारण भी नहीं बताया गया। उसी दिन, बिना मुझे सूचना दिए या मुझे सुने, इसकी अनुमति दे दी गई।

गिरफ्तारी की जरूरत नहीं

सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने केजरीवाल से 25 जून को तीन घंटे तक पूछताछ की है। उसके बाद बिना कोई कारण बताए एक साल पुराने समन पर वे अब धारा 41 के तहत गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। जबकि यह नहीं बताया कि कैसे, कब और कौन सी गिरफ्तारी।

निचली अदालत का आदेश

सिंघवी ने कहा कि 25 जून को आवेदन दिया गया, उसी दिन आदेश पारित कर दिया गया और भगवान की थोड़ी सी दया के लिए धन्यवाद, केजरीवाल को अगले दिन आदेश मिल गया। सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत कुछ इस तरह से काम कर रही है।