‘एक देश, एक चुनाव’ पर वोटिंग: पहली बार ई-वोटिंग का इस्तेमाल, शाह बोले- जिन्हें दिक्कत हो, उन्हें पर्ची दे दो
लोकसभा में मंगलवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक पेश किया गया, जिसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। इस विधेयक पर चर्चा के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का पहली बार उपयोग किया गया। हालांकि, कुछ सांसदों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। उनकी आपत्तियों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुझाव दिया कि जिन्हें मशीन से परेशानी है, वे पर्ची से वोट डाल सकते हैं।
विधेयक पर क्या हुआ?
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को ‘एक देश, एक चुनाव’ के नाम से जाना जा रहा है। इसे केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में पेश किया।
- विपक्षी दलों ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया।
- इस पर चर्चा के लिए मत विभाजन का निर्णय लिया गया, जिसमें ई-वोटिंग का उपयोग हुआ।
स्पीकर ने दी प्रक्रिया की जानकारी:
विपक्षी सांसदों की आपत्तियों पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि यह पहली बार है जब सदन में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल हो रहा है।
- उन्होंने कहा कि अगर किसी सदस्य से गलती से गलत बटन दब जाता है, तो उसे अपना मत बदलने का भी अवसर मिलेगा।
- लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल ने सभी सदस्यों को ई-वोटिंग प्रक्रिया की जानकारी दी।
पहली बार ई-वोटिंग के आंकड़े:
नए संसद भवन में पहली बार किसी विधेयक पर ई-वोटिंग हुई।
- ई-वोटिंग के आंकड़े:
- पक्ष में वोट: 220
- विपक्ष में वोट: 149
- पर्ची से वोटिंग के आंकड़े:
- पक्ष में वोट: 269
- विपक्ष में वोट: 198
मतदान के बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक स्थगित कर दी गई।
अमित शाह का हस्तक्षेप:
वोटिंग प्रक्रिया के दौरान जब कुछ सांसदों ने ई-वोटिंग पर आपत्ति जताई, तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “जिन्हें मशीन से दिक्कत है, उन्हें पर्ची दे दीजिए।” इस टिप्पणी के बाद वोटिंग प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई।
विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की मांग:
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने ‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की मांग की। उधर, राज्यसभा में भी इस मुद्दे पर संविधान से जुड़े पहलुओं पर चर्चा की गई।
‘एक देश, एक चुनाव’ विधेयक की अहमियत:
यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ आयोजित करने का प्रावधान करता है। इसके जरिए चुनावी खर्च में कटौती और प्रशासनिक सुविधा में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, विपक्ष इसे लोकतंत्र के लिए चुनौती मानते हुए लगातार विरोध कर रहा है।