भारत-कनाडा तनाव के बाद ट्रूडो की मुश्किलें बढ़ीं, पीएम पद छोड़ने पर विचार
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए हालात लगातार कठिन होते जा रहे हैं। भारत के साथ बढ़ते राजनयिक तनाव और देश के भीतर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे ट्रूडो पर इस्तीफा देने का दबाव बढ़ गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रूडो जल्द ही अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं, जिससे कनाडा की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
भारत से पंगा बन रहा इस्तीफे का कारण
पिछले वर्ष खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत पर आरोप लगाने के बाद ट्रूडो ने दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ा दिया। भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कनाडा के कई राजनयिकों को निष्कासित किया। इस मुद्दे पर कनाडा के भीतर ट्रूडो को भारी विरोध का सामना करना पड़ा।
लिबरल पार्टी में असंतोष
ट्रूडो की अपनी लिबरल पार्टी के कई सांसद, जिनमें सीन केसी और केन मैकडोनाल्ड प्रमुख हैं, सार्वजनिक रूप से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद पार्टी में असंतोष और बढ़ गया। ट्रूडो की आर्थिक नीतियों और अमेरिका के साथ व्यापारिक टैरिफ पर उनके रुख को लेकर उनकी अपनी पार्टी में आलोचना हो रही है।
चुनावी असफलता का डर
सर्वेक्षणों में लिबरल पार्टी की स्थिति कमजोर है। विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी के मुकाबले खराब प्रदर्शन की आशंका के बीच, ट्रूडो का इस्तीफा संभावित है। 2013 में लिबरल नेता बनने के बाद उन्होंने पार्टी को संकट से उबारा था, लेकिन मौजूदा हालात में उनका इस्तीफा पार्टी को फिर से संकट में डाल सकता है।
इस्तीफे के बाद संभावित परिदृश्य
यदि ट्रूडो इस्तीफा देते हैं, तो एक अंतरिम नेता का चयन करना होगा। हालांकि, चुनाव से पहले पार्टी के भीतर नए नेता के चयन की प्रक्रिया लंबी हो सकती है। इससे पार्टी को नेतृत्व संकट का सामना करना पड़ेगा, जो चुनावी प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।