Rajnath Singh : राजनाथ सिंह के आवास पर NDA के मंत्रियों की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में TDP शामिल नहीं हुई। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। ये मीटिंग लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर बुलाई गई थी। चुनाव के नतीजों के बाद से ही ये खबरें आ रही थीं कि TDP लोकसभा अध्यक्ष का पद चाहती है और अब TDP के इस मीटिंग में शामिल नहीं होने से नाराजगी की खबरों को हवा मिल गई है।
बीजेपी के लिए स्पीकर पद का महत्व समझने के लिए हमें 1999 की घटनाओं को देखना होगा। उस समय बीजेपी नीत एनडीए सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, लेकिन सरकार अल्पमत में आ गई थी। एनडीए में शामिल टीडीपी ने स्पीकर पद की मांग की थी और टीडीपी के जीएमसी बालयोगी स्पीकर बने थे। यही स्पीकर पद बीजेपी के लिए बड़ा खेल बन गया।
वाजपेयी सरकार का पतन:
- गिरिधर गमांग का वोट: लोकसभा स्पीकर बालयोगी ने ओडिशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग को वोट देने की अनुमति दी, जबकि वह तीन महीने पहले ही सीएम बने थे और अभी तक सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया था। यह एक वोट सरकार गिराने की वजह बना।
- फ्लोर टेस्ट: जयललिता के अन्नाद्रमुक ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे वाजपेयी सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा। इस फ्लोर टेस्ट में सरकार एक वोट से गिर गई।
टीडीपी का रोल:
- टीडीपी की मांग के अनुसार बालयोगी स्पीकर बने थे, जिन्होंने गिरिधर गमांग को वोट देने की अनुमति देकर सरकार गिराने में अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य:
- एनडीए का बहुमत: वर्तमान में एनडीए गठबंधन बहुमत में है और टीडीपी इस बार भी साथ है।
- बीजेपी की सतर्कता: 1999 के अनुभव से सबक लेते हुए, बीजेपी के लिए अब स्पीकर पद पर अपनी पार्टी के सदस्य को रखना महत्वपूर्ण है।