सुप्रीम कोर्ट की चिंता: कब तक मुफ्त में चीजें बांटी जाएंगी? रोजगार के अवसर बढ़ाने की दी सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मुफ्त वितरण योजनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि यह व्यवस्था कब तक जारी रहेगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि सरकार को मुफ्त सुविधाओं की बजाय रोजगार के अवसर बढ़ाने और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सरकार को दी रोजगार पर ध्यान देने की सलाह
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा बताया गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है।
- इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि करदाता इन लाभों से वंचित हैं और सरकार को रोजगार निर्माण की दिशा में प्रयास करने चाहिए।
- अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार और विकास पर जोर देना आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान प्रवासी मजदूरों का मुद्दा
- वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन देने की मांग की।
- भूषण ने कहा कि सरकार 2011 की जनगणना के आंकड़ों का उपयोग कर रही है, जबकि 2021 की जनगणना होने पर बेहतर डेटा उपलब्ध होता।
- पीठ ने इस पर कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच टकराव से बचना चाहिए।
मेहता और भूषण में तीखी बहस
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और प्रशांत भूषण के बीच तीखी बहस हुई।
- मेहता ने एनजीओ के आंकड़ों को आधार बनाकर कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सवाल उठाए।
- भूषण ने आरोप लगाया कि मेहता उनकी आलोचना कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने उनसे संबंधित ईमेल सार्वजनिक किए थे।
- पीठ ने दोनों पक्षों को शांत करते हुए मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी के लिए निर्धारित की।