जस्टिस शेखर यादव के बयान पर सुप्रीम कोर्ट की नजर, इलाहाबाद हाईकोर्ट से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के “देश बहुसंख्यक के हिसाब से चलेगा” वाले बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी और ब्योरा मांगा है। यह बयान 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लिया संज्ञान?
जस्टिस यादव का यह बयान समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना, जिसमें उन्होंने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर विचार व्यक्त किए और कहा कि देश और संविधान एक है तो कानून भी एक होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट से जवाब मांगा है।
वीएचपी के कार्यक्रम में दिया गया बयान
- जस्टिस यादव ने वीएचपी के विधि प्रकोष्ठ द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में यह बयान दिया।
- उन्होंने समान नागरिक संहिता को सामाजिक सद्भाव, लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता के लिए आवश्यक बताया।
- शाहबानो केस का उल्लेख करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गलत माना था, लेकिन तत्कालीन सरकार को झुकना पड़ा।
कानूनी और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
जस्टिस शेखर यादव के इस बयान को लेकर विभिन्न वर्गों में मतभेद उभरे हैं। जहां कुछ ने इसे समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर बल देने वाला माना, वहीं अन्य ने इसे न्यायपालिका की तटस्थता पर सवाल उठाने वाला बताया।