महाकुंभ में प्रदूषित जल पर हड़कंप, CPCB की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

महाकुंभ में प्रदूषित जल पर हड़कंप, CPCB की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

प्रयागराज में जारी महाकुंभ के दौरान गंगा और यमुना के कई घाटों का पानी स्नान योग्य नहीं पाया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कई स्थानों पर फीकल कोलीफोर्म का स्तर मानकों से अधिक है। सोमवार को यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के समक्ष पेश की गई, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया।

रिपोर्ट में क्या सामने आया?

CPCB के अनुसार, फीकल कोलीफोर्म सीवेज प्रदूषण का संकेतक होता है, और इसकी अधिकतम मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट तक होनी चाहिए। लेकिन रिपोर्ट में यह स्तर कई जगहों पर स्नान के लिए असुरक्षित पाया गया।

NGT अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने रिपोर्ट की समीक्षा की। रिपोर्ट में गंगा और यमुना में सीवेज प्रवाह रोकने में प्रशासन की नाकामी का जिक्र किया गया है।

क्या निर्देशों का पालन नहीं हुआ?

NGT ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) को इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था, लेकिन बोर्ड ने सिर्फ कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक कवरिंग लेटर दाखिल किया।

CPCB की रिपोर्ट में बताया गया कि 28 जनवरी 2025 को की गई जांच में कई स्थानों पर फीकल कोलीफोर्म का स्तर अत्यधिक पाया गया, जिससे साफ हुआ कि सीवेज का प्रवाह नियंत्रित नहीं हो सका।

अधिकारियों को तलब किया गया

ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को रिपोर्ट की समीक्षा करने और एक दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। साथ ही, UPPCB के सदस्य सचिव और प्रयागराज में जल गुणवत्ता बनाए रखने वाले राज्य प्राधिकरणों को 19 फरवरी को वर्चुअल सुनवाई में उपस्थित होने को कहा गया है।

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