संभल विवाद: मस्जिद सर्वेक्षण के आदेश पर ओवैसी का सवाल, कहा- “जब याचिका दायर थी, तो सर्वे क्यों?”
संभल में हुई हिंसा और शाही जामा मस्जिद से जुड़े विवाद पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर तीखे सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जब याचिका में केवल पहुंच के अधिकार की मांग की गई थी, तो अदालत ने मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया? ओवैसी ने सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे देश को कमजोर करते हैं, जबकि महंगाई, बेरोजगारी और किसान आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याएं देश के सामने हैं।
अदालत के फैसले पर ओवैसी ने जताई आपत्ति
अदालत के फैसले पर ओवैसी ने जताई आपत्ति
रविवार को पत्रकारों से बात करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “याचिका के आधार पर यदि केवल पहुंच के अधिकार की मांग की गई थी, तो अदालत ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया? यह पूजा स्थल अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन है, जो कहता है कि किसी भी धार्मिक स्थल का मूल स्वरूप नहीं बदला जा सकता।”
ओवैसी ने यह भी सवाल किया कि अदालत ने इस तरह का आदेश देते समय कानून का पालन क्यों नहीं किया।
उन्होंने अजमेर शरीफ दरगाह को मंदिर घोषित करने की मांग पर राजस्थान में दायर याचिका का भी जिक्र किया और कहा, “यह दरगाह 800 वर्षों से अस्तित्व में है। अमीर खुसरो ने भी अपनी रचनाओं में इस दरगाह का उल्लेख किया है। अब इस पर विवाद क्यों?”
संघ प्रमुख पर तंज
ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, “भागवत ने घटती जनसंख्या दर पर चिंता व्यक्त की है। वे कह रहे हैं कि प्रजनन दर 3 होनी चाहिए। लेकिन, भाजपा के सांसद खुद कहते हैं कि दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलना चाहिए। अब आरएसएस के लोगों को शादी करना शुरू कर देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ के बयानों में विरोधाभास साफ झलकता है, और यह सब जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश है।
संभल विवाद का पूरा घटनाक्रम
संभल विवाद 19 नवंबर को उस समय शुरू हुआ, जब सिविल जज की अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका पर मस्जिद का सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया। हिंदू पक्ष का दावा था कि मस्जिद का निर्माण 1526 में मुगल बादशाह बाबर ने एक मंदिर तोड़कर कराया था।
24 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर ने मस्जिद का सर्वेक्षण किया। इसी दौरान इलाके में हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुए।
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
संभल विवाद में बढ़ते तनाव को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह इस मामले में कोई नया आदेश जारी न करे। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को शांति और सौहार्द बनाए रखने का निर्देश दिया गया।