भारतीय नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार पर भड़का आक्रोश, ट्रंप प्रशासन पर उठे सवाल
अमेरिका द्वारा 104 भारतीय नागरिकों को अपने सैन्य विमान से वापस भेजने की घटना पर भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। लेकिन इस घटना को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब इन नागरिकों की हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां जकड़ी तस्वीरें वायरल हो गईं। अमेरिका के इस अमानवीय व्यवहार को लेकर भारतीयों में जबरदस्त नाराजगी है। विपक्षी दलों से लेकर आम जनता तक, सभी ने ट्रंप प्रशासन की इस कार्रवाई की निंदा की है।
भारत में फूटा गुस्सा, ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन
नई दिल्ली में विपक्षी दलों ने संसद के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कई नेताओं ने हथकड़ी पहनकर अपना विरोध जताया और सरकार से इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की। एनएसयूआई (NSUI) के कार्यकर्ताओं ने अमेरिका के इस कृत्य के खिलाफ नई दिल्ली में डोनाल्ड ट्रंप के पुतले जलाए।
पंजाब में भी इस घटना को लेकर गुस्सा देखने को मिला। अमृतसर एयरपोर्ट पर जैसे ही निर्वासित भारतीय नागरिक पहुंचे, राज्य के मंत्री कुलदीप धालीवाल ने अमेरिका के इस कदम की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “हमारे नागरिक अपराधी नहीं थे। वे सिर्फ आजीविका के लिए वहां गए थे। उनके साथ धोखा हुआ है और उन्हें इस तरह बेड़ियों में जकड़ना बेहद शर्मनाक है।”
दूसरे देशों ने दिया कड़ा जवाब, भारत की चुप्पी पर सवाल
यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने इस तरह का रवैया अपनाया हो। इससे पहले कोलंबिया और ब्राजील के नागरिकों को भी हथकड़ी लगाकर निर्वासित किया गया था। कोलंबिया ने अमेरिका के इस अमानवीय व्यवहार पर कड़ा विरोध जताया था और यहां तक कि अमेरिकी सैन्य विमान को उतरने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया था। ब्राजील ने भी अमेरिकी राजदूत को तलब कर इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।
अब सवाल उठ रहा है कि भारत सरकार इस मुद्दे पर कब कड़ा कदम उठाएगी? पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे को ट्रंप प्रशासन के सामने उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका के साथ हमारी दोस्ती भारतीय नागरिकों की मदद नहीं कर सकती तो फिर ऐसी दोस्ती का क्या मतलब?”
हथकड़ियों में जकड़े भारतीयों की आपबीती
इस अमानवीय व्यवहार का शिकार बने कई भारतीयों ने अपनी आपबीती सुनाई, जो बेहद चौंकाने वाली है।
➡️ 23 साल के आकाशदीप सिंह ने बताया, “हमारे हाथों में हथकड़ियां और टखनों में जंजीरें थीं। हमने सैन्य अधिकारियों से बाथरूम और खाने के समय इन्हें हटाने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने हमारी एक नहीं सुनी। हमें जिस तरह घूरा जा रहा था, वह अपमानजनक था।”
➡️ 35 साल के सुखपाल सिंह ने कहा, “पूरा सफर बेड़ियों में गुजरा। यहां तक कि जब गुआम द्वीप पर ईंधन भरा जा रहा था, तब भी हमें जंजीरों से जकड़ा रखा गया। अगर हमने खड़े होने की कोशिश की, तो सैनिक हमें चिल्लाकर बैठने के लिए मजबूर कर रहे थे। घंटों तक पैरों में बेड़ियां रहने से सूजन आ गई थी।”
अमेरिकी बॉर्डर पेट्रोल चीफ माइकल डब्ल्यू बैंक्स ने निर्वासित भारतीयों का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें सभी के हाथों में हथकड़ियां और पैरों में बेड़ियां साफ दिखाई दे रही हैं। यह वीडियो सामने आने के बाद भारत में इस मुद्दे पर जबरदस्त आक्रोश फैल गया है।