बैलेट पेपर से चुनाव की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- “आपको दिक्कत क्यों, जब पार्टियों को नहीं?”

बैलेट पेपर से चुनाव की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- “आपको दिक्कत क्यों, जब पार्टियों को नहीं?”

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता केए पॉल से कहा, “राजनीतिक दलों को ईवीएम से कोई दिक्कत नहीं है, तो आपको क्यों? ये आइडिया आप लाते कहां से हैं?”

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कई नेता, जैसे चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी, चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा, “जब ये नेता हारते हैं, तो ईवीएम पर सवाल उठाते हैं, लेकिन जीतने पर चुप रहते हैं। यह अदालत ऐसी बहसों के लिए उचित मंच नहीं है।”

अमेरिका और अन्य देशों का हवाला देकर दी बैलेट पेपर की दलील

याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि उन्होंने 150 से अधिक देशों का दौरा किया है, जिनमें से कई अब भी बैलेट पेपर का उपयोग करते हैं। उन्होंने ईवीएम को “लोकतंत्र के लिए खतरा” बताते हुए कहा कि भारत को भी इस पारंपरिक प्रणाली को अपनाना चाहिए।

इस पर कोर्ट ने सवाल किया, “आप चाहते हैं कि भारत हर मामले में दूसरे देशों जैसा ही काम करे? हमें अलग क्यों नहीं होना चाहिए?”

“वोटर्स को लालच देने वाले उम्मीदवारों पर हो सख्त कार्रवाई”

पॉल ने कोर्ट से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की कि जो उम्मीदवार वोटर्स को पैसा, शराब या अन्य चीजों का लालच देते हैं, उन्हें कम से कम पांच साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जाए।

हरियाणा चुनाव से जुड़ी याचिका पर भी हुई थी खारिज

16 अक्टूबर को कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में ईवीएम की गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर 17 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।

तत्कालीन चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने कहा था, “क्या आप चाहते हैं कि हम चुनी गई सरकार का शपथग्रहण रोक दें? ऐसी याचिकाओं पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।”