निमिषा प्रिया: भारतीय नर्स जिसे यमन में मिली मौत की सजा, सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाया
यमन के सुप्रीम कोर्ट ने केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई है। यह मामला अब यमन के राष्ट्रपति के पास दया याचिका के लिए लंबित है। भारत सरकार ने निमिषा की मदद के लिए पहल की है और हरसंभव समर्थन का आश्वासन दिया है।
लोकसभा में गूंजी निमिषा प्रिया की आवाज
इस मामले को लेकर भारत सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि निमिषा प्रिया के मामले में कानूनी और अन्य प्रासंगिक विकल्प तलाशने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि निमिषा का परिवार इस मुद्दे पर विचार कर रहा है और सरकार पूरी मदद कर रही है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी हैं। वह 2012 में एक नर्स के तौर पर यमन गई थीं। 2015 में उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लीनिक शुरू किया। हालांकि, तलाल ने धोखे से क्लीनिक के मालिकाना हक में अपना नाम दर्ज करवाकर आधी आय हड़पने की कोशिश की।
तलाल से विवाद और हिंसा
तलाल ने न सिर्फ क्लीनिक पर कब्जा जमाने की कोशिश की, बल्कि खुद को निमिषा का पति बताने लगा। जब निमिषा ने इस पर आपत्ति जताई, तो तलाल ने उनके साथ शारीरिक हिंसा और यौन शोषण करना शुरू कर दिया।
2017 में उत्पीड़न से परेशान होकर निमिषा ने तलाल को नशीला इंजेक्शन दे दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। निमिषा का कहना है कि उनका इरादा हत्या का नहीं था, बल्कि वह अपना पासपोर्ट वापस लेना चाहती थीं, जो तलाल ने जबरन रख लिया था।
यमन की अदालतों का फैसला
तलाल की मौत के बाद निमिषा को यमन की अदालत ने दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। उनकी मां प्रेमकुमार ने अपनी बेटी को बचाने की कोशिश की, लेकिन यमन की सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा।
भारत सरकार की पहल
भारत सरकार ने इस मामले में अपनी गंभीरता दिखाई है। सरकार निमिषा प्रिया को बचाने के लिए कानूनी और कूटनीतिक प्रयास कर रही है। यमन के राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी गई है, और सरकार उम्मीद कर रही है कि मामला सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा।