संसद में पेश होने के बाद संसदीय समिति को भेजा गया नया आयकर विधेयक
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में नया आयकर विधेयक पेश किया। विधेयक के पेश होते ही विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया और कुछ सांसदों ने सदन से वॉकआउट भी किया। यह नया विधेयक 1961 के आयकर अधिनियम को सरल बनाने और जटिल शब्दावली को कम करने के उद्देश्य से लाया गया है।
सरकार का नया कर सुधार मॉडल
सरकार का कहना है कि नया कर विधेयक पांच सिद्धांतों पर आधारित है:
- सुव्यवस्थित संरचना और भाषा (सरल और स्पष्ट भाषा)
- एकीकृत और संक्षिप्त (अप्रासंगिक प्रावधान हटाए गए)
- न्यूनतम मुकदमेबाजी (कर मामलों का त्वरित समाधान)
- व्यावहारिक और पारदर्शी (समझने में आसान कर कानून)
- सीखें और अनुकूलित करें (समय के साथ बदलाव की गुंजाइश)
नया विधेयक संसदीय समिति को सौंपा गया
लोकसभा में बिल पेश होने के बाद इसे संसदीय समिति को भेज दिया गया है, जो इसकी समीक्षा कर आवश्यक सुधारों की सिफारिश करेगी। माना जा रहा है कि यह समिति 10 मार्च तक अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है।
विधेयक में क्या हैं मुख्य बदलाव?
- टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- ‘असेसमेंट ईयर’ की जगह अब ‘टैक्स ईयर’ शब्द इस्तेमाल किया जाएगा।
- TDS और प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन को टेबल फॉर्मेट में लाया गया है, जिससे करदाताओं को समझने में आसानी होगी।
- पुराने और गैर-जरूरी प्रावधानों को हटा दिया गया है, जिससे कानून अधिक प्रासंगिक और सरल हो गया है।
- 1961 के आयकर अधिनियम में कई संशोधन हो चुके हैं, जिन्हें हटाकर एक नया, सुव्यवस्थित कर कानून लाने की कोशिश की जा रही है।
नया कानून कब लागू होगा?
अगर यह बिल पास हो जाता है, तो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। हालाँकि, कर स्लैब और वित्तीय वर्ष की मौजूदा व्यवस्था पहले जैसी ही रहेगी।