डिजिटल युग के नए आपराधिक कानून: सबूतों के साथ छेड़छाड़ अब असंभव

डिजिटल युग के नए आपराधिक कानून: सबूतों के साथ छेड़छाड़ अब असंभव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 दिसंबर को चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों का राष्ट्र को समर्पण एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। ये कानून—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम—कानूनी प्रणाली में पारदर्शिता और डिजिटल सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए बनाए गए हैं।

जबरदस्त बदलाव: सबूतों की सुरक्षा होगी सुनिश्चित

पहले पुलिस थानों में जब्त माल, जैसे ड्रग्स, शराब, या अन्य महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका रहती थी। अब नए कानूनों के तहत यह पूरी तरह असंभव होगा।

  1. डिजिटल ट्रैकिंग और वीडियोग्राफी:
    जब्त माल की पूरी प्रक्रिया—घटनास्थल से थाने, और थाने से फोरेंसिक लैब तक—डिजिटल ट्रैकिंग और वीडियोग्राफी के जरिए निगरानी में रहेगी।
  2. क्यूआर कोड का उपयोग:
    जब्त किए गए हर सामान पर क्यूआर कोड लगेगा। इससे माल के बारे में सभी जानकारियां डिजिटल रूप से रिकॉर्ड की जाएंगी।
  3. सीसीटीएनएस (CCTNS) का समावेश:
    केस से जुड़ी हर जानकारी क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम के जरिए तुरंत संबंधित अधिकारियों तक पहुंचेगी।

न्यायिक प्रणाली में तकनीकी सहायता

  • भाषिणी एप का प्रयोग:
    भाषा की बाधा को खत्म करने के लिए 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा मिलेगी।
  • जीरो एफआईआर का प्रावधान:
    किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराना अब संभव है, चाहे अपराध कहीं भी हुआ हो।

महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष ध्यान

महिलाओं और बच्चों से संबंधित मामलों में नए कानूनों के तहत जांच प्रक्रिया को 2 महीने के भीतर पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया है।

चंडीगढ़ में सफल कार्यान्वयन

चंडीगढ़ प्रशासन ने इन नए कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन शुरू कर दिया है।

  • 1179 एफआईआर दर्ज
  • 245 मामलों में चार्जशीट दाखिल
  • 4 मामलों में दोषसिद्धि