‘सांसदों को सोचना होगा कि जनता ने उन्हें संसद क्यों भेजा’, उपराष्ट्रपति धनखड़ का दो-टूक संदेश

‘सांसदों को सोचना होगा कि जनता ने उन्हें संसद क्यों भेजा’, उपराष्ट्रपति धनखड़ का दो-टूक संदेश

संसद की गिरती उत्पादकता और लगातार बाधाओं के चलते उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सांसदों की जवाबदेही पर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जनता उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर देगी कि आखिर क्यों उन्हें संसद भेजा गया था।


लोकतंत्र की सफलता के लिए संवाद जरूरी

एक पुरस्कार समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा,

“लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यक्ति और संवाद दोनों जरूरी हैं। यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों पक्षों की है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जनता अब अव्यवस्था को एक सामान्य स्थिति के रूप में देखने लगी है, लेकिन इस रवैये में बदलाव जरूरी है।


‘संसद में जाने का उद्देश्य समझें सांसद’

धनखड़ ने सांसदों को आगाह करते हुए कहा,

“लोग अब सवाल करेंगे कि आखिर आपने संसद में जाकर क्या किया? अगर संसद में संवाद और कामकाज नहीं होगा, तो लोकतंत्र का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।”
उन्होंने उम्मीद जताई कि लोग इस दिशा में कदम उठाएंगे और सांसदों से जवाबदेही की मांग करेंगे।


ग्रामीण विकास और कृषि की अहमियत पर जोर

उपराष्ट्रपति ने कृषि को भारत के ग्रामीण विकास की रीढ़ बताया। उन्होंने कहा,

“जब तक कृषि का विकास नहीं होगा, तब तक ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव संभव नहीं है। ग्रामीण परिदृश्य बदले बिना हम विकसित राष्ट्र बनने का सपना नहीं देख सकते।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए लोगों की आय में आठ गुना वृद्धि करनी होगी, जो एक कठिन लेकिन आवश्यक लक्ष्य है।


ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का आह्वान

धनखड़ ने किसानों की समस्याओं पर ध्यान दिलाते हुए कहा,

“हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा कृषि बाजार है, लेकिन किसान इससे जुड़ने में असमर्थ हैं। सरकारों को कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि यह देश के आर्थिक विकास का इंजन बन सके।”