जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: भारत-कनाडा संबंधों में नया अध्याय, कांग्रेस ने कार्यकाल को बताया ‘मूर्खतापूर्ण नीतियों’ वाला

जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा: भारत-कनाडा संबंधों में नया अध्याय, कांग्रेस ने कार्यकाल को बताया ‘मूर्खतापूर्ण नीतियों’ वाला

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। उनकी इस घोषणा के बाद कनाडा में ही नहीं, बल्कि भारत में भी राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। भारतीय राजनीति में भी उनके इस्तीफे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्रूडो के कार्यकाल पर तीखा कटाक्ष करते हुए इसे “मूर्खतापूर्ण नीतियों” वाला और “कट्टरपंथी तत्वों के प्रति नरम रुख” रखने वाला बताया।

सिंघवी की प्रतिक्रिया: भारत-कनाडा रिश्तों में सुधार की उम्मीद

अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा कनाडा और उसके वैश्विक संबंधों के लिए बहुत जरूरी था। उनका कार्यकाल घरेलू मोर्चे पर मूर्खतापूर्ण नीतियों और चरमपंथी विचारधारा के प्रति नरम रुख का परिचायक रहा। हमें उम्मीद है कि उनके जाने के बाद भारत-कनाडा के रिश्ते अधिक सम्मानजनक और मजबूत होंगे।”

ट्रूडो ने इस्तीफे की घोषणा में क्या कहा?

जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए कहा कि जैसे ही लिबरल पार्टी एक नए नेता का चयन करेगी, वह प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने बताया कि पार्टी के अध्यक्ष को उन्होंने नया उम्मीदवार खोजने का निर्देश दिया है।

ट्रूडो ने अपने इस्तीफे के कारणों का खुलासा करते हुए कहा:
“पार्टी को एक नए नेता की जरूरत है। मैं एक लड़ाकू हूं और कनाडा के लोगों की परवाह करता हूं। लेकिन वास्तविकता यह है कि संसदीय गतिरोध और अल्पमत सरकार के लंबे सत्र के कारण संसद कई महीनों से ठप है।”

लंबे संसदीय गतिरोध के बाद आया इस्तीफा

कनाडा में संसदीय गतिरोध और अल्पमत सरकार के सबसे लंबे सत्र के बाद ट्रूडो ने इस्तीफे का फैसला किया। उन्होंने कहा कि यह कदम कनाडा में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को दोबारा सक्रिय करने के लिए जरूरी है। गवर्नर जनरल को उन्होंने 24 मार्च को संसद का सत्र समाप्त करने की सिफारिश की है, जिससे नए सत्र की शुरुआत हो सके।

परिवार और पार्टी के प्रति जताया आभार

जस्टिन ट्रूडो, जो 2015 से प्रधानमंत्री पद पर काबिज थे, ने अपने परिवार और पार्टी का आभार जताया। हालांकि, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि पार्टी के अंदरूनी मतभेद के चलते उन्हें अब नेतृत्व करने का अवसर नहीं मिलेगा।

लिबरल पार्टी में नेतृत्व की दौड़

अब लिबरल पार्टी में नए नेता की तलाश शुरू हो चुकी है। संभावित उम्मीदवारों में अनीता आनंद, क्रिस्टिया फ्रीलैंड, और मार्क कार्नी के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। इन नेताओं में से किसी के चयन से कनाडा की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है।