ISRO को मिला नया मुखिया: जानिए वी नारायणन की सफलता की कहानी और उनके 40 साल के अंतरिक्ष विज्ञान अनुभव के बारे में

ISRO को मिला नया मुखिया: जानिए वी नारायणन की सफलता की कहानी और उनके 40 साल के अंतरिक्ष विज्ञान अनुभव के बारे में

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वर्तमान चेयरमैन एस. सोमनाथ 14 जनवरी 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। उनकी जगह प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. वी नारायणन को इसरो का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। वी नारायणन की नियुक्ति इसरो के भविष्य के मिशनों और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में नई ऊर्जा का संचार करेगी।

तमिलनाडु के साधारण स्कूल से IIT खड़गपुर तक का सफर

वी नारायणन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिल माध्यम स्कूलों से पूरी की। इसके बाद उन्होंने IIT खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एमटेक किया, जिसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने पर उन्हें रजत पदक से सम्मानित किया गया। उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी भी की। इसके अलावा, स्कूल एजुकेशन और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में भी उन्होंने शीर्ष स्थान प्राप्त किया।

40 वर्षों का व्यापक अनुभव

डॉ. नारायणन अंतरिक्ष यान और रॉकेट प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ हैं। उनके नेतृत्व में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर (LPSC) ने इसरो के कई प्रमुख मिशनों के लिए 183 से अधिक प्रणोदन प्रणालियों का निर्माण किया।
उनका योगदान इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं में रहा है:

  • PSLV के दूसरे और चौथे चरण
  • चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के प्रणोदन सिस्टम
  • आदित्य L1 मिशन और GSLV Mk-III के मिशन

दो साल का कार्यकाल, नई चुनौतियां और जिम्मेदारियां

इसरो प्रमुख के रूप में वी नारायणन का कार्यकाल दो वर्षों तक रहेगा। इस दौरान उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी भारत के आगामी अंतरिक्ष मिशनों को सफल बनाना और अंतरिक्ष विज्ञान में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना होगी।

पुरस्कार और सम्मान

डॉ. नारायणन को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं:

  • IIT खड़गपुर से सिल्वर मेडल
  • राष्ट्रीय डिज़ाइन पुरस्कार (NDRF)
  • एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया से स्वर्ण पदक