ISRO: स्पेडेक्स मिशन की लॉन्चिंग में बदलाव, अब 10 बजे भरेगा उड़ान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने महत्वाकांक्षी स्पेडेक्स मिशन की लॉन्चिंग के समय में बदलाव किया है। पहले यह मिशन सोमवार रात 9:58 बजे लॉन्च होने वाला था, लेकिन अब इसे दो मिनट की देरी के साथ रात 10:00 बजे लॉन्च किया जाएगा। इसरो ने इस बदलाव का कारण स्पष्ट नहीं किया है।
स्पेडेक्स (SPADEX) भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। इसरो ने कहा कि यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष में मानव मिशन और उपग्रह सेवा अभियानों के लिए बेहद अहम है। लॉन्चिंग की पूरी प्रक्रिया को इसरो के यूट्यूब चैनल पर रात 9:30 बजे से लाइव प्रसारित किया जाएगा।
स्पेस डॉकिंग तकनीक: क्या है और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
स्पेस डॉकिंग तकनीक: क्या है और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
स्पेडेक्स मिशन के तहत इसरो पृथ्वी की निचली कक्षा में दो अंतरिक्ष यानों को आपस में जोड़ने (डॉकिंग) और उनमें पावर ट्रांसफर करने की तकनीक का परीक्षण करेगा।
डॉकिंग प्रक्रिया का विवरण:
- इस मिशन में दो अंतरिक्ष यान, स्पेसक्राफ्ट A (SDX01) और स्पेसक्राफ्ट B (SDX02), को पीएसएलवी-सी60 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा।
- दोनों अंतरिक्ष यानों को पृथ्वी की कक्षा में 5 किमी की दूरी पर रखा जाएगा।
- अंतरिक्ष यान की गति पृथ्वी की कक्षा में 28,800 किमी/घंटा होगी। यह गति एक सामान्य विमान की तुलना में 36 गुना तेज और गोली की रफ्तार से 10 गुना ज्यादा होगी।
- इस गति को धीरे-धीरे नियंत्रित कर 0.25 किमी/घंटा पर लाया जाएगा, ताकि दोनों यान आपस में सुरक्षित तरीके से जुड़ सकें।
- डॉकिंग प्रक्रिया लॉन्च के 10-14 दिन बाद होने की संभावना है।
भविष्य में उपयोग:
- चंद्रयान-4 मिशन: चंद्रमा से सैंपल धरती पर लाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल होगा।
- अंतरिक्ष स्टेशन: भारत के भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और संचालन के लिए डॉकिंग तकनीक अनिवार्य है।
- साझा मिशन: जब एक ही मिशन के लिए कई रॉकेट लॉन्च किए जाते हैं, तो डॉकिंग तकनीक का उपयोग साझा उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर एक और कदम
भारत की ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर एक और कदम
स्पेडेक्स मिशन भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में निपुण चौथा देश बनाएगा। इससे पहले केवल अमेरिका, रूस, और चीन ने इस तकनीक में सफलता हासिल की है।
ISRO अधिकारी का बयान:
“अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग भविष्य के कई मिशनों की नींव रखेगा। यह तकनीक चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर नमूने वापस लाने, उपग्रहों की मरम्मत और अंतरिक्ष में मानव मिशन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।”