‘दिन-रात गालियां पड़ती हैं तो कैसा लगता है?’ पीएम मोदी ने सुनाया ‘मोटी चमड़ी’ वाला मजेदार किस्सा

‘दिन-रात गालियां पड़ती हैं तो कैसा लगता है?’ पीएम मोदी ने सुनाया ‘मोटी चमड़ी’ वाला मजेदार किस्सा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के साथ अपना पहला पॉडकास्ट रिकॉर्ड किया। इसमें उन्होंने अपने जीवन, चुनौतियों और अनुभवों को साझा किया। यह पॉडकास्ट निखिल के यूट्यूब चैनल ‘पीपल बाय डब्ल्यूटीएफ’ पर उपलब्ध है। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने 2005 में अमेरिका द्वारा वीजा न देने के अनुभव और सोशल मीडिया के दौर में राजनीति के बदलाव पर अपने विचार भी साझा किए।

बच्चों ने पूछा—कैसे सहते हैं गालियां?

निखिल कामथ ने पीएम मोदी से पूछा कि सोशल मीडिया के युग ने राजनीति को कैसे बदला है और वह युवाओं को क्या सलाह देंगे। पीएम ने बताया कि जब वह बच्चों से मिलते हैं, तो वे भी यही सवाल करते हैं। उन्होंने कहा, “कई बार बच्चे पूछते हैं कि दिन-रात आपको इतनी गालियां पड़ती हैं, तो कैसा लगता है?”

इस पर पीएम मोदी ने एक मजेदार किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, “मैं बच्चों को बताता हूं कि मैं अहमदाबादी हूं। हमारे यहां एक मजाक चलता है—एक अहमदाबादी स्कूटर से जा रहा था। किसी से टक्कर हो गई, और दूसरा व्यक्ति गुस्से में गालियां देने लगा। अहमदाबादी शांत खड़ा रहा। तीसरे व्यक्ति ने कहा, ‘आपको गालियां दी जा रही हैं और आप कुछ नहीं कह रहे?’ अहमदाबादी बोला, ‘भाई, कुछ दे रहा है… ले तो नहीं रहा।'”

गालियों से नहीं फर्क पड़ता

पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने भी यही सोच बना ली है। अगर कोई गालियां दे रहा है, तो यह उसकी प्रवृत्ति है। “हमें सत्य के धरातल पर रहना चाहिए और दिल में कोई पाप नहीं होना चाहिए। मोटी चमड़ी का मतलब यह नहीं कि हमें हर बात से विचलित होना चाहिए।”

वीजा न मिलने पर कैसी थी प्रतिक्रिया

जब पीएम मोदी से सबसे कठिन समय के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने 2005 की घटना का जिक्र किया, जब अमेरिका ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, “मैं एक चुनी हुई सरकार का मुख्यमंत्री था, लेकिन मुझे वीजा नहीं मिला। इससे अमेरिका जाना बड़ा मुद्दा नहीं था, पर यह एक राज्य और देश का अपमान था। उस दिन मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि मैं एक ऐसा भारत देखता हूं, जहां एक दिन दुनिया वीजा के लिए लाइन में खड़ी होगी।”