H-1B वीजा विवाद: केंद्र सरकार की सतर्कता, अमेरिकी कंपनियों से जानकारी जुटा रहा IT मंत्रालय
अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर बढ़ते विवादों ने भारतीय प्रोफेशनल्स और केंद्र सरकार की चिंता बढ़ा दी है। भारतीय वीजा धारकों के खिलाफ चल रहे विरोध को देखते हुए सरकार ने इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाई है। विदेश मंत्रालय, आईटी मंत्रालय, और वाणिज्य विभाग संयुक्त रूप से इस मामले पर नज़र रख रहे हैं और स्थिति का आकलन कर रहे हैं।
भारतीय पेशेवरों के लिए उठाए जा रहे कदम
भारत सरकार इस बात को लेकर सतर्क है कि भारतीय एच-1बी वीजा धारकों को अमेरिका में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। आईटी मंत्रालय ने अमेरिकी कंपनियों और नैसकॉम जैसे संगठनों से फीडबैक लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह फीडबैक अमेरिका में वीजा धारकों की मौजूदा स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा।
अमेरिकी कंपनियों से IT मंत्रालय के सवाल
आईटी मंत्रालय ने अमेरिकी सॉफ्टवेयर कंपनियों से पूछा है कि एच-1बी वीजा धारकों के लिए जमीनी हालात कैसे हैं। सरकार यह सुनिश्चित करने के प्रयास में है कि किसी भी बाहरी या कानूनी वजह से भारतीय पेशेवरों को परेशानी न हो। एक सूत्र के अनुसार, “हम चाहते हैं कि भारत-अमेरिका के बीच कानूनी ढांचे में कोई बाहरी बाधा न आए और हमारे पेशेवर अपनी प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति बनाए रखें।”
एलन मस्क की टिप्पणी और ट्रंप की नीतियां
डोनाल्ड ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद वीजा नीतियों में संभावित बदलावों को लेकर भी भारत सतर्क है। एलन मस्क ने हाल ही में एच-1बी वीजा प्रणाली को “समाप्त जैसा” बताया और कहा कि यह सुधार की मांग करता है। हालांकि, ट्रंप ने कई बार वीजा समर्थन में भी बयान दिए हैं।
H-1B वीजा: क्या है यह और क्यों है चर्चा में?
एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो विशेष व्यवसायों में उच्च शिक्षित विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है। तकनीकी, इंजीनियरिंग, गणित, और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में इस वीजा की मांग सबसे अधिक रहती है।