BJP-RSS Relations : BJP को क्यों नहीं RSS की जरूरत? नड्डा दिया ये जवाब

BJP-RSS Relations :  भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को पार्टी का वैचारिक मोर्चा करार दिया। उन्होंने भाजपा के भीतर आरएसएस की भूमिका और पार्टी की वर्तमान स्थिति की तुलना अटल बिहारी वाजपेयी के युग से की।

जेपी नड्डा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय में भाजपा को अपने संचालन के लिए आरएसएस पर अधिक निर्भर रहना पड़ता था क्योंकि उस समय भाजपा एक छोटी और कम सक्षम पार्टी थी। उन्होंने कहा, “शुरू में हम अक्षम होंगे, थोड़ा कम होंगे, आरएसएस की जरूरत थी। आज हम बढ़ गए हैं। पहले से अधिक सक्षम हैं। बीजेपी अब अपने आप को चलाती है। यही अंतर है।”

नड्डा ने जोर देकर कहा कि वर्तमान में भाजपा एक मजबूत और स्वतंत्र संगठन बन चुकी है जो अपने कार्यों और जिम्मेदारियों को स्वयं संभाल सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आरएसएस और भाजपा की भूमिकाएं अलग-अलग हैं। आरएसएस एक सांस्कृतिक और सामाजिक संगठन है, जबकि भाजपा एक राजनीतिक दल है। उन्होंने कहा, “हम अपने मामलों को अपने तरीके से संभालते हैं। और राजनीतिक दलों को यही करना चाहिए।”

नड्डा ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा की मथुरा और वाराणसी के विवादित स्थलों पर मंदिर बनाने की तत्काल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, “भाजपा के पास ऐसा कोई विचार, योजना या पार्टी की इच्छा नहीं है। कोई चर्चा भी नहीं हुई है।”

यह जानना महत्वपूर्ण है कि आरएसएस की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को हुई थी और इसे भाजपा का वैचारिक गुरु माना जाता है। इस संगठन ने भाजपा को एक उभरते हुए संगठन से एक राजनीतिक दिग्गज बनने में मदद की है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता आरएसएस के कार्यकर्ता और सदस्य रहे हैं। वर्तमान में मोहन भागवत आरएसएस का नेतृत्व कर रहे हैं।

जेपी नड्डा के इन बयानों से स्पष्ट होता है कि भाजपा ने अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत किया है और अब वह अपनी नीतियों और कार्यों को स्वतंत्र रूप से संचालित करने में सक्षम है। आरएसएस अपनी वैचारिक और सांस्कृतिक भूमिका में बना हुआ है, जबकि भाजपा एक सशक्त राजनीतिक दल के रूप में उभर चुकी है

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