‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बड़ा कदम, मोदी सरकार ने बिल को दी मंजूरी
देश में लोकसभा, विधानसभा, शहरी निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए मोदी कैबिनेट ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी है। इस कदम के बाद सरकार इसे अगले सप्ताह संसद में पेश कर सकती है।
कैबिनेट का फैसला और बिल की संभावित प्रस्तुति
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, सरकार इस बिल को व्यापक चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज सकती है। इसके साथ ही, बिल का उद्देश्य सभी चुनावों को एक साथ कराकर प्रशासनिक खर्च, समय और संसाधनों की बचत करना है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के संभावित लाभ
- धन और समय की बचत: बार-बार चुनाव कराने के कारण होने वाले वित्तीय और समय खर्च को रोका जा सकेगा।
- प्रशासनिक कुशलता: चुनाव ड्यूटी के चलते सरकारी कामकाज में जो रुकावटें आती हैं, उन्हें कम किया जा सकेगा।
- सुरक्षा बलों पर दबाव कम: बार-बार चुनाव से सुरक्षा बलों पर पड़ने वाले बोझ को घटाया जा सकेगा।
- विकास कार्यों में तेजी: एक साथ चुनाव होने से सरकार के पास विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का अधिक समय होगा।
कोविंद समिति की सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद इस पर सहमति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा था कि यह कदम देश की जीडीपी को 1 से 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाने में योगदान कर सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय को भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया। उनका मानना है कि यह पहल देश के विकास और राजनीतिक स्थिरता को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।