पर्वतारोही अनिता कुण्डू को एडवेंचर का सबसे बड़ा अवार्ड मिलने वाला है। अनिता कुंडू का चयन तेनज़िंग नोर्गे नेशनल अवार्ड के लिए किया गया है। पर्वतारोहण में इनकी उपलब्धियों को देखते हुए समिति ने इनके नाम का चयन किया था, जिसपर खेल मंत्री किरिन रिजिजू ने मुहर लगा दी है।
यह अवॉर्ड के अर्जुन अवॉर्ड के बराबर का है। वैसे तो प्रधानमंत्री की मौजूदगी में राष्ट्रपति के हाथों खेल दिवस पर ये सम्मान मिलता है। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से ये कार्यक्रम वर्चुअल ही होगा. इसमें सर्टिफिकेट के साथ एक मोवमेंटो दिया जाता है। अबकी बार इस अवॉर्ड के लिए 5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए देने पर विचार किया जा रहा है। ये पर्वतारोहण के साहसिक खेल में भारत सरकार की तरफ से दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवॉर्ड है। अनिता कुंडू परिवार के साथ सोनीपत में रह कर ही कार्यक्रम में शिरकत करेंगी।
अनिता कुण्डू की उपलब्धियां : – 2009 में पर्वतारोहण के बेसिक, एडवांस के साथ सभी कोर्स पास किए
– सतोपंथ, कोकस्टेट सहित देश की अनेक चोटियों को फतह किया
– 18 मई 2013 को नेपाल के रास्ते माउंट एवरेस्ट फतह
– 2015 में चीन के रास्ते एवेरेस्ट फतेह की कोशिश
– 22500 फीट पर भूकम्प ने रोक दिया
– 2017 में फिर चीन के रास्ते से माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई
– 60 दिन के संघर्ष के बाद 21 मई 2017 को एवरेस्ट पर जीत
– नेपाल-चीन दोनों रास्तों से एवरेस्ट फ़तेह करने वाली देश की इकलौती बेटी
– 2018 में दुनिया के सातों महाद्वीपों में की चढ़ाई
इन चोटियों पर जा चूकी हैं अनीता : – माउंट एवरेस्ट, एशिया
– किलिमंजारो, अफ्रीका
– एलबुर्स, यूरोप
– विनसन मासिफ, अंटार्कटिका
– अकांकागुवा, दक्षिणी अमेरिका
– कारस्टेन्स पिरामिड, ऑस्ट्रेलिया
– देनाली, उतरी अमेरिका (100 मीटर पहले बर्फ़ीले तूफान का सामना करना पड़ा)
– माउंट एवरेस्ट के बराबर की चोटी माउंट मनासलू
अनिता एक साधारण किसान परिवार से सम्बंध रखती है। जब वे मात्र 13 साल की थी तो उनके पिता का देहांत हो गया था, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई और खेल जारी रखा, खेत मे हल चलाना भी सीखा, पशुओं को पालने में भी महारत हांसिल की। अपने सभी छोटे भाई-बहनों को भी पढ़ाया। और आज करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई। अनिता ने बताया कि मेरी इस कामयाबी में मेरी माँ और मेरे ताऊ का बहुत बड़ा योगदान है। मेरी माँ ने विपरीत परिस्थितियों में भी मुझ पर विश्वास किया, और मेरे ताऊ ने हमेशा पढ़ने और खेलने के लिए प्रोत्साहन दिया। मेरा ये पुरस्कार बहादुरी के श्रेणी में आता है, मैं इसको अपने फौजी भाइयों के लिए समर्पित करती हूं। जिनकी बदौलत हम सभी सुरक्षित है।
Leave a Reply
View Comments