केरल हाईकोर्ट का कड़ा रुख: महिला के शरीर पर टिप्पणी करना यौन उत्पीड़न के बराबर

Rajiv Kumar
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केरल हाईकोर्ट का कड़ा रुख: महिला के शरीर पर टिप्पणी करना यौन उत्पीड़न के बराबर

किसी भी महिला के शरीर (बॉडी स्ट्रक्चर) पर टिप्पणी करना न केवल अनैतिक है, बल्कि यह यौन उत्पीड़न के तहत दंडनीय अपराध भी है। केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि ऐसा करना भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354A और 509 के तहत यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।

केस का संदर्भ

यह फैसला केरल राज्य विद्युत बोर्ड (KSEB) के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए दिया गया। आरोपी ने अपने खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोप को निरस्त करने की मांग की थी। आरोप था कि उसने एक महिला सहकर्मी के खिलाफ 2013 से आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया और 2016-17 के दौरान अश्लील मैसेज और वॉयस कॉल भेजे।

अभियुक्त के तर्क

आरोपी का कहना था कि किसी व्यक्ति की अच्छी शारीरिक संरचना पर टिप्पणी करना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। उसने यह दलील दी कि ऐसा कोई भी उल्लेख आईपीसी की धारा 354A और 509 तथा केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120(O) के तहत अपराध नहीं बनाता।

अभियोजन पक्ष और महिला का पक्ष

महिला और अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ने जानबूझकर उसे परेशान करने और उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए अभद्र संदेश और टिप्पणियां कीं।

हाईकोर्ट का निर्णय

जस्टिस ए बदरुद्दीन की अध्यक्षता में केरल हाईकोर्ट ने अभियोजन पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा:

  • महिला के शरीर पर कोई भी टिप्पणी करना यौन रूप से अपमानजनक है।
  • प्रथम दृष्टया, आईपीसी की धारा 354A (यौन उत्पीड़न), धारा 509 (महिला की शील का अपमान), और केरल पुलिस अधिनियम की धारा 120(O) के तहत मामला बनता है।

हाईकोर्ट ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया और पहले दिए गए अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया।

 

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